कानपुर : ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बड़ा बढ़ावा मिला है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के कानपुर में बनी मशीन गन की मांग यूरोप में तेजी से बढ़ रही है।
विशेषताएं जो इसे खास बनाती हैं
कानपुर के स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री द्वारा विकसित इस मीडियम मशीन गन (MMG) ने कई देशों में अपनी पहचान बनाई है। यह नई मशीन ग्राउंड वॉरफेयर में एक प्रभावी हथियार के रूप में उभरी है।
सामना-से-सामना होने वाले सैनिकों की लड़ाई में यह मशीन गन गेम-चेंजर साबित हो सकती है क्योंकि यह प्रति मिनट 1000 गोलियां दागने में सक्षम है।
इस हथियार की मुख्य विशेषताएं:
- वजन: यह गन 11 किलोग्राम वजनी है।
- फायरिंग क्षमता: 1000 राउंड प्रति मिनट फायर करती है।
- रेंज: यह दुश्मनों को 1.8 किलोमीटर (1800 मीटर) दूर तक खत्म कर सकती है।
- लंबाई: गन की लंबाई 1255 मिमी है।
- बैरेल का वजन: 3 किलोग्राम।
- कैलिबर: 7.62 x 51 मिमी।
यूरोप से बड़ा ऑर्डर
यूरोप के एक देश ने दिसंबर 2023 में इस गन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद फैक्ट्री में उत्पादन बढ़ा दिया गया है।
इस साल का ऑर्डर:
- इस मशीन गन का ऑर्डर इस साल Rs 225 करोड़ को पार कर गया है।
- पिछले साल, Rs 190 करोड़ का ऑर्डर स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री को मिला था।
अन्य देशों की दिलचस्पी
कई यूरोपीय देश इस गन को अपनी सेनाओं के लिए खरीदने में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2000 MMG का ऑर्डर पूरा होने के बाद अन्य समझौतों के लिए उत्पादन शुरू किया जाएगा।
यह भारतीय मशीन गन अपनी उन्नत तकनीक और विशेषताओं की वजह से न सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा दे रही है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारतीय हथियार उद्योग का नाम रोशन कर रही है।