कैब एग्रीगेटर कंपनियां ओला और उबर ने शुक्रवार को उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि वे भारत में एंड्रॉइड और ऐप्पल फोन पर अपनी सेवाओं के लिए अलग-अलग मूल्य निर्धारण मॉडल लागू कर रहे हैं। यह खंडन तब आया जब केंद्र सरकार ने इन आरोपों के संबंध में नोटिस जारी किया था।
आरोप थे कि समान दूरी के लिए ऐप्पल फोन उपयोगकर्ताओं से अधिक किराया वसूला जा रहा है क्योंकि यह माना गया कि महंगे स्मार्टफोन का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति अधिक होती है और वे एंड्रॉइड फोन उपयोगकर्ताओं की तुलना में अधिक भुगतान कर सकते हैं।
ओला का बयान
ओला ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इन आरोपों को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के समक्ष स्पष्ट कर दिया है और वे इस मामले में किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए उपभोक्ता निकाय के साथ काम करेंगे।
ओला के प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया, “हम अपने सभी ग्राहकों के लिए एकसमान मूल्य निर्धारण संरचना रखते हैं और उपयोगकर्ता के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर समान राइड्स के लिए भेदभाव नहीं करते हैं।”
उबर का बयान
उबर ने भी अपने बयान में कहा कि कंपनी अपने उपयोगकर्ताओं के फोन निर्माता के आधार पर कीमतें तय नहीं करती।
उबर के प्रवक्ता ने कहा, “हम CCPA के साथ काम करने और किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए तत्पर हैं।”
गूगल और ऐप्पल की प्रतिक्रिया का इंतजार
हालांकि, इस मुद्दे पर गूगल और ऐप्पल की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
निष्कर्ष
ओला और उबर ने आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा है कि उनका मूल्य निर्धारण मॉडल सभी उपभोक्ताओं के लिए समान है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में CCPA आगे क्या कदम उठाता है और गूगल व ऐप्पल इस पर क्या जवाब देते हैं।