डीपसीक की बढ़ती लोकप्रियता ने डाटा सुरक्षा और चीन के प्रभाव पर नए सवाल खड़े किए – क्या भारत की डिजिटल संप्रभुता पर मंडरा रहा है खतरा?

डीपसीक की बढ़ती लोकप्रियता ने डाटा सुरक्षा और चीन के प्रभाव पर नए सवाल खड़े किए – क्या भारत की डिजिटल संप्रभुता पर मंडरा रहा है खतरा?

दीपसीक ने चीनी ऐप्स की डेटा सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया

हाल ही में लॉन्च हुए एआई प्लेटफॉर्म दीपसीक (DeepSeek) ने अपनी कम लागत और प्रभावी तकनीक के चलते दुनियाभर में हलचल मचा दी है। इसके लॉन्च ने भारतीय सरकार और विशेषज्ञों के बीच डेटा सुरक्षा और चीनी सॉफ़्टवेयर कंपनियों की पहुंच को लेकर नई चिंताओं को जन्म दिया है।

दीपसीक के एआई असिस्टेंट ने पिछले सप्ताह ऐप स्टोर्स पर डेब्यू किया और इसे कम लागत पर विकसित किए जाने के कारण काफी प्रशंसा मिली। अन्य प्रतिस्पर्धियों, जैसे OpenAI के चैटजीपीटी, की तुलना में इसका उत्पादन लागत मात्र $6 मिलियन रही। हालांकि, इस सफलता के बावजूद, डेटा स्टोरेज और गोपनीयता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

डेटा सुरक्षा पर चिंताएं

दीपसीक की प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार, उपयोगकर्ताओं का डेटा, जिसमें प्रोफ़ाइल जानकारी और प्लेटफॉर्म पर दी गई फाइलें शामिल हैं, चीन के सर्वर पर संग्रहीत किया जाता है। यह नीति भारतीय डेटा सुरक्षा और स्थानीयकरण नियमों के साथ मेल नहीं खाती।

इस मुद्दे पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सरकार एआई तकनीक के बदलते परिदृश्य और दीपसीक जैसे प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव पर नज़र बनाए हुए है। चीनी ऐप्स पर पहले भी प्रतिबंध लगाए गए हैं, और इस बार भी स्थिति अलग नहीं होगी।”

चीनी ऐप्स पर पहले भी लगा है प्रतिबंध

भारत सरकार ने पहले टिक-टॉक जैसे सोशल मीडिया ऐप्स और चीनी टेलीकॉम कंपनियों जैसे ZTE और Huawei को सुरक्षा कारणों से प्रतिबंधित किया था। अब दीपसीक के डेटा स्टोरेज को लेकर भी ऐसी ही चिंताएं उठ रही हैं।

डेटा संरक्षण विशेषज्ञ ससवती सौम्या साहू ने कहा, “चीन में डेटा स्टोर करना भारतीय डेटा लोकलाइजेशन नियमों का उल्लंघन करता है। भारत को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है, जिससे डेटा संप्रभुता को सुनिश्चित किया जा सके।”

दीपसीक पर साइबर अटैक

27 जनवरी को दीपसीक को एक बड़े साइबर हमले का सामना करना पड़ा, जिसके बाद कंपनी ने अपनी सेवाएं केवल मुख्य भूमि चीन तक सीमित कर दीं। इस घटना ने प्लेटफॉर्म की सुरक्षा को लेकर और अधिक सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या हो सकता है सरकार का कदम?

यदि दीपसीक भारत में अपने उपयोगकर्ता सेवाएं शुरू करता है, तो सरकार इसे डेटा संरक्षण नियमों का पालन करने के लिए बाध्य कर सकती है। अगर ऐसा नहीं होता, तो प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का विकल्प खुला रहेगा।

नज़नीन इछापोरिया, एएनबी लीगल की पार्टनर, ने कहा, “सरकार को सख्त डेटा लोकलाइजेशन नियमों को लागू करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उपयोगकर्ताओं का डेटा सुरक्षित रहे।”

लालू जॉन फिलिप, बूलियन लीगल के संस्थापक, ने कहा, “यदि दीपसीक भारत में सेवाएं प्रदान करता है, तो डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए, सरकार के पास प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के अधिकार हैं।”

निष्कर्ष

दीपसीक का तेजी से बढ़ता प्रभाव भारतीय तकनीकी क्षेत्र के लिए एक अवसर और चुनौती दोनों है। हालांकि, चीन में डेटा स्टोर करना और सुरक्षा संबंधी जोखिमों को नजरअंदाज करना भारतीय हितों के खिलाफ हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाती है।

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