अमेरिका में भारतीय मूल के 53 वर्षीय न्यूरोसर्जन पर मेडिकेयर फ्रॉड करने के आरोप में 20 लाख डॉलर से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने इलेक्ट्रो-एक्यूपंक्चर डिवाइस लगाने के फर्जी सर्जरी के क्लेम किए थे।
सर्जरी की जगह डिवाइस फिट कर मेडिकेयर में बिल पास करवाए
यूएस अटॉर्नी अलमदार एस. हमदानी के अनुसार, ह्यूस्टन के डॉक्टर राजेश बिंदल पर मेडिकेयर और फेडरल कर्मचारी हेल्थ बेनिफिट प्रोग्राम में धोखाधड़ी करने के आरोप में 20.95 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया गया है। फेडरल जांचकर्ताओं के अनुसार, डॉक्टर बिंदल ने ऑपरेटिंग रूम में की जाने वाली आवश्यक प्रक्रियाओं के झूठे बिल पेश किए। उन्होंने वास्तविक सर्जरी किए बिना बिल पास कराए। इसके बजाय, मरीज के कान के पीछे डिवाइस टेप से चिपका दिए गए, जो कुछ दिनों में गिर जाते थे।
कुछ मामलों में, यह काम डॉक्टर बिंदल ने खुद भी नहीं किया, बल्कि डिवाइस बेचने वाले प्रतिनिधि या क्लिनिक के फिजिशियन असिस्टेंट ने टेक्सास स्पाइन एंड न्यूरोसर्जरी सेंटर में किया। यह सब बिना उचित सर्जिकल सेटअप के किया गया।
अटॉर्नी ने क्या कहा?
अमेरिकन अटॉर्नी अलमदार एस. हमदानी ने कहा, “डॉ. बिंदल जैसे न्यूरोसर्जन को यह समझने में सक्षम होना चाहिए कि डिवाइस को कान के पीछे फिट करना और वास्तविक सर्जरी करना दो अलग चीजें हैं। इतनी उच्चस्तरीय योग्यता रखने के बावजूद उन्होंने मरीजों की देखभाल करने के बजाय लालच को चुना और उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया। इस तरह की धोखाधड़ी से न केवल करदाताओं के पैसे की बर्बादी होती है, बल्कि हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स और मेडिकेयर जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में लोगों का भरोसा भी कम होता है।”