अक्टूबर में एफपीआई की रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये की बिकवाली हुई।

इस महीने सेंसेक्स में 4,855 अंकों की गिरावट, बाजार पूंजीकरण में 41 लाख करोड़ रुपये की कमी।

अक्टूबर का महीना पिछले चार वर्षों का सबसे खराब रहा है। महामारी के बाद पहली बार, अप्रैल 2020 के बाद, अक्टूबर 2004 में सेंसेक्स में 8% की गिरावट एक ही महीने में दर्ज की गई है। इस महीने में आए 4,855 अंकों की इस गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की ~एक लाख करोड़ रुपये की बिकवाली मुख्य कारण रही है, जो रिकॉर्ड स्तर पर मानी जा रही है। उन्होंने अपने कुल निवेश का लगभग 1% हिस्सा निकाला है। अभी भी दो ट्रेडिंग दिन शेष होने के कारण यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। 27 सितंबर, 2024 को सेंसेक्स ने 85,978 की रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद शुक्रवार को इंट्रा-डे में 79,402 तक गिरावट दर्ज की। इस अवधि में यह शीर्ष स्तर से 6,840 अंक नीचे आया है।

अक्टूबर में एफपीआई की बिकवाली के प्रमुख कारणों में चीन द्वारा राहत पैकेज की घोषणा, शेयर बाजार निवेश मानदंडों में छूट, इजरायल और हमास के बीच युद्ध से कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, उभरते बाजारों में घरेलू मूल्यांकन का प्रीमियम पर बने रहना, और कॉर्पोरेट आय में धीमी वृद्धि जैसी वजहें थीं। शुक्रवार को एफपीआई ने ~3,037 करोड़ रुपये की अतिरिक्त शुद्ध बिकवाली की, जिससे अक्टूबर में कुल बिकवाली का आंकड़ा 1,00,242 करोड़ रुपये हो गया, जो 1992 के बाद भारत में एफपीआई के लिए खुले दरवाजों के बाद एक महीने में सबसे बड़ी बिकवाली है। सितंबर के अंत में मार्केट कैपिटलाइज़ेशन 477.93 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर था, जो शुक्रवार को घटकर 436.99 लाख करोड़ रुपये हो गया, यानी इसमें 41 लाख करोड़ रुपये की कमी आई। इससे निवेशकों की पूंजी में हुई हानि और शेयरों के मूल्य में गिरावट का अंदाजा लगाया जा सकता है। अक्टूबर में ही पूंजी में लगभग 38 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

स्थानीय फंड्स की 97,200 करोड़ रुपये की खरीद: शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर घबराहट को रोकने में सफलता मिली है। अक्टूबर में डीआईआई के रूप में पहचाने जाने वाले स्थानीय फंड्स ने शुक्रवार को 4,159 करोड़ रुपये की खरीद की, जिससे कुल खरीद का आंकड़ा 97,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो किसी एक महीने में डीआईआई की सबसे बड़ी खरीद थी। स्थानीय संस्थागत निवेशकों और फंड्स का बड़ा समर्थन रहा। स्थानीय निवेशकों ने SIP के माध्यम से फंड्स में निवेश कर अपनी ताकत बढ़ाई, जिससे एफपीआई की बिकवाली के प्रभाव से बाजार को बचाने में सफलता मिली।

स्मॉल और मिड कैप 10% गिरे: स्मॉल और मिड कैप टॉप से 10% तक गिरे हैं, जबकि सेंसेक्स-निफ्टी में 8% की गिरावट आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि 10% की गिरावट बाजार में मंदी का संकेत देती है। आगामी दिनों में यदि सेंसेक्स-निफ्टी भी 10% गिरते हैं, तो भारतीय शेयर बाजार में तेजी समाप्त होने का संकेत मिलेगा, जिससे बाजार छोटे से मध्यम अवधि में समेकन क्षेत्र में चला जाएगा, जहां निवेशकों की परीक्षा होगी। वर्तमान में प्रमुख आंकड़े 100-दिवसीय मूविंग एवरेज से नीचे खिसक गए हैं।

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