मुफासा – द लायन किंग रिव्यू: शाहरुख खान से एक बार फिर प्यार करने को हो जाइए तैयार

मुफासा – द लायन किंग रिव्यू: यह परिवार और दोस्ती, bonding और betrayal, और humour की मजबूत कहानी पर आधारित है।

मुफासा – द लायन किंग रिव्यू: शाहरुख खान की आवाज में जादू, कहानी में रोमांच और इमोशंस का संगम

बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान ने “द लॉयन किंग” के हिंदी डब में मुफासा को अपनी आवाज दी है, जो इस फिल्म को एक खास resonance देती है। डिज्नी की यह फिल्म, जो इंग्लिश, तेलुगु और तमिल में भी रिलीज हुई है, SRK की दमदार आवाज की वजह से हिंदी दर्शकों के लिए और भी खास बन गई है।

थिएटर में जाते वक्त चाहे आपका scepticism कितना भी गहरा हो, जैसे ही शाहरुख खान की आवाज स्क्रीन पर गूंजती है, वह गायब हो जाता है। अनाथ शेर शावक की कहानी, जिसे घुसपैठिया (“Ghuspethiya”) कहकर नकार दिया गया है, SRK की आवाज के साथ एक stunning एनिमेटेड म्यूजिकल में बदल जाती है।

भले ही वह एक शेर के रूप में हों, शाहरुख का romantic aura फिल्म के dramatic moments और dialogues में भी झलकता है। आप लगभग उन्हें उनके signature charisma के साथ प्रेम की यात्रा करते हुए देख सकते हैं, जो इस कहानी को रोमांचक और गहराईभरी बनाती है।

मुफासा: द लायन किंग, जिसे जेफ नाथनसन ने लिखा और बैरी जेनकिंस ने निर्देशित किया है, परिवार, दोस्ती, bonding, betrayal और humour की मजबूत कहानी पर आधारित है।

यह फिल्म 2009 की “द लायन किंग” की prequel है, जो खुद 1994 की एनिमेटेड डिज्नी क्लासिक का technologically updated remake थी। फिल्म की एनिमेशन इतनी सटीक है कि हर मूवमेंट और एक्सप्रेशन आपको रियलिटी जैसा महसूस कराते हैं।

फिर भी, कुछ लोगों को लगेगा कि जंगल के chaotic vibrations और खतरनाक शिकारी जानवरों की वास्तविकता फिल्म में थोड़ी कम है। लेकिन visuals की technical perfection और एनिमेशन की dynamism इस फिल्म को एक memorable experience बनाती है।

फिल्म की कहानी और शाहरुख की आवाज:
फिल्म में जानवरों की सांस, गुर्राहट और आवाजें इतने जीवंत तरीके से प्रेजेंट की गई हैं कि आप उन्हें महसूस कर सकते हैं। शाहरुख खान की आवाज, जो wisdom और wistfulness से भरी हुई है, मुफासा को depth और range देती है।

शुरुआत में, जब युवा मुफासा (अबराम खान की आवाज में) अपने माता-पिता से बिछड़ जाता है, तो वह मासूमियत से पूछता है: “घर का रास्ता पता है आपको?” जवाब में, क्वीन एशे कहती हैं: “घर का रास्ता खो कर ही मिलता है।”

मुफासा की कहानी रफीकी (मकरंद देशपांडे) द्वारा उसकी पोती किआरा को सुनाई जाती है। किआरा को उसके माता-पिता, सिम्बा (आर्यन खान) और नाला (नेहा गर्गावा), पुम्बा (संजय मिश्रा) और टिमोन (श्रेयस तलपड़े) की देखरेख में छोड़ देते हैं।

कहानी मुफासा और ताका के रिश्ते पर केंद्रित है, जो राजा बनने के इच्छुक नहीं हैं। लेकिन कहानी में रोमांस का ट्विस्ट तब आता है जब सराबी (ममता गुर्नानी) भी इस कहानी का हिस्सा बनती हैं।

फिल्म का climax तब आता है जब काइरोस, जो सफेद शेरों के प्राइड का राजा है, ताका और मुफासा के बीच के फासले का फायदा उठाने की कोशिश करता है।

SRK की आवाज का जादू:
हिंदी डब में शाहरुख खान की आवाज मुफासा के किरदार को और भी impactful बनाती है। SRK का signature dialogue “मैं हूं ना” जब मुफासा सराबी से कहता है, तो फिल्म SRK के फैंस के लिए pure magic बन जाती है।

फिल्म का संवाद, जो हिंदी फिल्मों के tapori street jargon से प्रभावित है, इसे देसी flavor देता है, जो दर्शकों को लुभाने में कामयाब रहता है।

निष्कर्ष:
मुफासा: द लायन किंग तकनीकी रूप से परफेक्ट एनिमेशन और शाहरुख खान की आवाज के जादू की वजह से एक शानदार अनुभव है। यह फिल्म SRK के फैंस और परिवार के साथ देखने के लिए एक must-watch है।

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