डीजीपी बैठक में खालिस्तान समर्थक गतिविधियां और साइबर सुरक्षा प्रमुख मुद्दे।

भारत के शीर्ष पुलिस और खुफिया अधिकारियों ने शुक्रवार को आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सालाना चर्चा शुरू की। इन चर्चाओं में साइबर अपराध, खालिस्तान समर्थक गतिविधियां, वामपंथी उग्रवाद, सीमा पार आतंकवाद, तटीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करों की बढ़ती गतिविधियां शामिल हैं। इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उपस्थित हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शनिवार को भुवनेश्वर के लोक सेवा भवन में 29 नवंबर से 1 दिसंबर तक चल रहे तीन दिवसीय डीजीपी/आईजीपी (पुलिस महानिदेशक/पुलिस महानिरीक्षक) सम्मेलन में शामिल होंगे। उम्मीद है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर अपनी प्राथमिकताओं और अपेक्षाओं पर अधिकारियों को संबोधित करेंगे।

अमेरिका स्थित खालिस्तानी चरमपंथी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा सम्मेलन को बाधित करने की धमकी दिए जाने के बाद ओडिशा की राजधानी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए अमित शाह ने कहा कि पुलिस और खुफिया प्रमुखों का ध्यान पूर्वी सीमा पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों, प्रवास और शहरी पुलिसिंग के रुझानों पर होना चाहिए। उन्होंने लोकसभा चुनावों के सफलतापूर्वक आयोजन और तीन नए आपराधिक कानूनों को सुचारू रूप से लागू करने के लिए पुलिस नेतृत्व को बधाई दी।

गृह मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, शाह ने जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्व और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा स्थिति में हुए सुधार पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के दृष्टिकोण को सजा-उन्मुख से न्याय-उन्मुख में बदल दिया है।

गृह मंत्री ने ‘2047 तक विकसित भारत’ और ‘2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था’ के पीएम मोदी के दृष्टिकोण को हासिल करने में सुरक्षा व्यवस्था की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने पूर्वी सीमा, प्रवासन और शहरी पुलिसिंग से संबंधित चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने और शून्य-सहिष्णुता नीति लागू करने के लिए पहल करने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अगले दो दिनों में सम्मेलन के दौरान भारत की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर व्यापक चर्चा होगी।

पीएमओ के अनुसार, इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे आतंकवाद विरोधी रणनीति, वामपंथी उग्रवाद, तटीय सुरक्षा, नए आपराधिक कानून और मादक पदार्थों पर विचार-विमर्श होगा। यह वरिष्ठ पुलिस पेशेवरों और सुरक्षा प्रशासकों के लिए आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर खुली चर्चा और बहस का मंच प्रदान करेगा।

पीएमओ ने कहा कि इस साल के सम्मेलन में कुछ विशेषताएं जोड़ी गई हैं, जिसमें एक पूरा दिन योग सत्र, व्यावसायिक सत्र, समूह चर्चा और विषयगत डाइनिंग टेबल जैसी गतिविधियों के लिए समर्पित होगा। यह वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अपने दृष्टिकोण और सुझाव प्रधानमंत्री के सामने रखने का अवसर भी प्रदान करेगा।

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