चेन्नई और कोलकाता में वेयरहाउसिंग और मैन्युफैक्चरिंग के लिए कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में H1 2020 के बाद से सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

भारत की लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग इंडस्ट्री एक बड़े बदलाव के कगार पर है। इसका मुख्य कारण यह है कि देश एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है, ऐसा कहना है सुमित रक्षित, एमडी, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सर्विसेज, सविल्स इंडिया का।

चेन्नई और कोलकाता ने वेयरहाउसिंग और मैन्युफैक्चरिंग के लिए निर्माण लागत में कोविड-19 महामारी के 2020 के पहले छमाही (H1) से अब तक सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की है।

सविल्स इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता में जनरल मैन्युफैक्चरिंग की लागत में 6.7% की वृद्धि हुई, जबकि चेन्नई 6.5% वृद्धि के साथ दूसरे स्थान पर रहा। ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग में चेन्नई ने सबसे ज्यादा 6.7% की वृद्धि दर्ज की, जबकि बेंगलुरु और हैदराबाद में यह वृद्धि 6% रही।

लागत बढ़ने के पीछे क्या कारण हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस वृद्धि का मुख्य कारण क्रूड ऑयल, स्टील, एलुमिनियम, सीमेंट, लेबर, इक्विपमेंट रेंटल्स, और प्लंबिंग व फिक्सचर की कीमतों में बढ़ोतरी है।

  • कोलकाता में जनरल मैन्युफैक्चरिंग सुविधा की निर्माण लागत H1 2020 में 3,060 रु./स्क्वायर फीट थी, जो H1 2024 में बढ़कर 3,265 रु./स्क्वायर फीट हो गई, यानी 6.7% की वृद्धि।
  • चेन्नई में यह लागत H1 2020 में 3,010 रु./स्क्वायर फीट थी, जो H1 2024 में 3,210 रु./स्क्वायर फीट तक बढ़ी।
  • चेन्नई में ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग की लागत H1 2020 में 1,940 रु./स्क्वायर फीट थी, जो 6.7% बढ़कर H1 2024 में 2,070 रु./स्क्वायर फीट हो गई।
  • कोलकाता में ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग की लागत 1,980 रु./स्क्वायर फीट से बढ़कर H1 2024 में 2,075 रु./स्क्वायर फीट हो गई।

इंडस्ट्री बदलाव के मुहाने पर

सुमित रक्षित, एमडी, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सर्विसेज, सविल्स इंडिया ने कहा कि भारत की लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग इंडस्ट्री बड़े बदलाव के कगार पर है। भारत अब एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में मैन्युफैक्चरिंग और वेयरहाउसिंग सुविधाओं की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। निर्माण लागत में भी अगले 3-4 सालों में थोड़ा इजाफा हो सकता है, जो सामग्री की कीमत, लेबर, इक्विपमेंट किराया, और ब्याज दरों पर निर्भर करेगा।

भारत का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में निर्माण लागत अभी भी अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी जैसे विकसित देशों की तुलना में काफी कम है, क्योंकि यहां लेबर और सामग्री की लागत कम है।

सविल्स इंडिया के एमडी, इंडस्ट्रियल एंड लॉजिस्टिक्स, श्रीनिवास एन ने बताया कि एफएमसीजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, एपैरल, और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) जैसे क्षेत्रों में बढ़ती मांग और सरकारी नीतियों के समर्थन से मैन्युफैक्चरिंग और वेयरहाउसिंग सेक्टर में निर्माण गतिविधियां तेज हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि ईएसजी (Environmental, Social, Governance) मानकों को पूरा करने के लिए टिकाऊ और ऊर्जा-कुशल भवनों की मांग बढ़ रही है, जिससे ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रैक्टिसेज का उपयोग बढ़ेगा।

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