चीन और भारत के राजनयिकों ने संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया, लेकिन सीमा विवाद पर चुप्पी साधी

चीन और भारत के राजनयिकों ने संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया, लेकिन सीमा विवाद पर चुप्पी साधी

बीजिंग (एपी): चीन और भारत के शीर्ष राजनयिकों ने सोमवार को बीजिंग में मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने की बात कही। हालांकि, उन्होंने हिमालय में चल रहे लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं की।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के वरिष्ठ विदेश मामलों के अधिकारी विक्रम मिस्त्री से कहा कि दोनों देशों को “मौके का लाभ उठाना चाहिए, एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए और एक-दूसरे के साथ पारस्परिक समझ और समर्थन का प्रयास करना चाहिए।” यह जानकारी चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने दी।

मिस्त्री ने कहा कि “दोनों परमाणु शक्ति संपन्न एशियाई देशों ने अपने मतभेदों का सही तरीके से प्रबंधन किया है और विभिन्न क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग को पुनः आरंभ करने को बढ़ावा दिया है।”

पवित्र कैलाश यात्रा होगी फिर से शुरू
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए तिब्बत के पवित्र कैलाश पर्वत की यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। कोरोना महामारी के कारण यह यात्रा 2020 में रोक दी गई थी।

सीमा विवाद पर सार्वजनिक बयान से बचाव
दोनों देशों के नेताओं ने पिछले साल रूस में एक बहुराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी, जिसके बाद से उनके संबंध स्थिर बने हुए हैं। भारत ने यह घोषणा की थी कि दोनों पक्ष हिमालय में अपने विवादित सीमा क्षेत्र पर सैनिकों के गश्त से संबंधित समझौता कर चुके हैं।

हालांकि, 2024 में हुए समझौते के तहत “सैनिकों की वापसी” की बात कही गई थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि लद्दाख क्षेत्र में तैनात अतिरिक्त सैनिक वापस बुलाए गए हैं या नहीं।

व्यापार और आर्थिक संबंधों पर प्रभाव
भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव ने व्यापारिक संबंधों को भी नुकसान पहुंचाया है। चीन की कंपनियों के निवेश रोक दिए गए हैं और कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर रोक लगा दी गई है। भारत ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए टिक-टॉक समेत कई चीनी ऐप्स पर भी बैन लगा दिया।

हालांकि, चीनी उत्पाद भारत में अभी भी काफी प्रचलित हैं। खिलौनों से लेकर स्मार्टफोन तक और यहां तक कि हिंदू देवताओं की मूर्तियों में भी ‘मेड इन चाइना’ लिखा मिलता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में भारत और चीन के बीच व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई है, हालांकि व्यापार संतुलन हमेशा चीन के पक्ष में रहा है।

पुराना विवाद बना चुनौती
हिमालय की सीमा पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) भारत और चीन के बीच लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है। दोनों देशों ने 1962 में इस सीमा विवाद पर एक युद्ध भी लड़ा था।

हालांकि, पैंगोंग झील, गोगरा और गलवान घाटी में सैनिकों की वापसी हो चुकी है, लेकिन देमचोक और डेपसांग प्लेन्स में अब भी अतिरिक्त सैनिक तैनात हैं।

चीन और भारत के बीच संबंधों को स्थिर बनाए रखने के लिए दोनों देशों के राजनयिक प्रयास जारी हैं। लेकिन सीमा विवाद और व्यापारिक मतभेदों को सुलझाना अब भी एक बड़ी चुनौती है।

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