नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे भारत के हीरा उद्योग के लिए एक बड़ी खुशखबरी की। सरकार ने हाल ही में ‘डायमंड इम्प्रैस्ट ऑथॉराइजेशन योजना’ शुरू की है, जिससे इस उद्योग को नई ऊँचाइयाँ मिलने की उम्मीद है। क्या है ये योजना?
यह योजना मुख्यतः हीरे के निर्यात को बढ़ावा देने और भारत में हीरे के मूल्यवर्धन को बढ़ाने के लिए लाई गई है। इसके तहत, अब हीरा व्यापारी एक निश्चित सीमा तक कटे और पॉलिश किए हुए हीरों को बिना किसी ड्यूटी के इम्पोर्ट कर सकेंगे।
मुख्य बातें:
- यह योजना उन हीरा निर्यातकों के लिए है जिनके पास ‘टू-स्टार एक्सपोर्ट हाउस’ का दर्जा है और जो सालाना 15 मिलियन डॉलर से अधिक का निर्यात करते हैं।
- इसके अंतर्गत 25 कैरेट (0.25 सेंट) से कम के प्राकृतिक कटे और पॉलिश किए हुए हीरों का ड्यूटी-फ्री इम्पोर्ट किया जा सकेगा।
- यह योजना 1 अप्रैल से लागू हो चुकी है।
- इसका मुख्य उद्देश्य छोटे और मध्यम स्तर के हीरा कारोबारियों (MSME) को बड़े कारोबारियों के बराबर अवसर प्रदान करना है।
- इस योजना से भारतीय हीरा कारोबारियों द्वारा विदेशों में हीरा खदानों में किए जाने वाले निवेश को रोकने में मदद मिलेगी।
- सबसे महत्वपूर्ण बात, इस योजना से हीरे की प्रोसेसिंग और कटिंग-पॉलिशिंग के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
इस योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी?
पिछले कुछ समय से हीरे के निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही थी, जिसके कारण कई लोगों को अपनी नौकरियाँ गंवानी पड़ीं। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस उद्योग को सहारा देने के लिए यह कदम उठाया है।
इस योजना के लाभ:
- कटे और पॉलिश किए हुए हीरों का निर्यात बढ़ेगा।
- रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, खासकर हीरे की प्रोसेसिंग और कटिंग-पॉलिशिंग के क्षेत्र में।
- छोटे और मध्यम स्तर के कारोबारियों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।
- भारत हीरे के व्यापार में अपनी वैश्विक नेतृत्व की स्थिति को बनाए रखने में सक्षम होगा।
संक्षेप में कहें तो, ‘डायमंड इम्प्रैस्ट ऑथॉराइजेशन योजना’ भारतीय हीरा उद्योग के लिए एक अत्यंत ही सकारात्मक कदम है। इससे न केवल निर्यात में वृद्धि होगी, बल्कि देश में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।