डिजिटल पेमेंट की सुरक्षा: आम मिथकों और उनकी सच्चाई
डिजिटल पेमेंट की लोकप्रियता के साथ, उनकी सुरक्षा को लेकर कई मिथक भी सामने आते हैं। फ्रॉड अवेयरनेस वीक (17-23 नवंबर) के दौरान, वीजा ने इन मिथकों को दूर करने के लिए जानकारी साझा की है ताकि लोग डिजिटल पेमेंट का सुरक्षित और सरल अनुभव ले सकें।
- मिथक: पेमेंट ऐप्स आपके फोन पर संवेदनशील जानकारी स्टोर करते हैं।
सच्चाई: पेमेंट ऐप्स टोकनाइजेशन और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन जैसी तकनीकों का उपयोग करते हैं, जिससे संवेदनशील जानकारी आपके डिवाइस पर स्टोर नहीं होती और डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। - मिथक: केवल मजबूत पासवर्ड ही लेनदेन को सुरक्षित रखते हैं।
सच्चाई: मजबूत पासवर्ड एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) सुरक्षा की अतिरिक्त परत जोड़ता है। पासवर्ड के साथ-साथ ओटीपी जैसे अन्य वेरिफिकेशन तरीकों का उपयोग सुरक्षा को बढ़ाता है। - मिथक: कॉन्टैक्टलेस पेमेंट में धोखाधड़ी का खतरा ज्यादा है।
सच्चाई: कॉन्टैक्टलेस पेमेंट अत्यधिक सुरक्षित होते हैं। ये ग्लोबल एन्क्रिप्शन स्टैंडर्ड्स का पालन करते हैं और एनएफसी तकनीक (Near Field Communication) का उपयोग करते हैं, जो डेटा को केवल पास की दूरी तक ही ट्रांसमिट करता है, जिससे डेटा चोरी का खतरा कम हो जाता है। - मिथक: क्यूआर कोड आसानी से हैक किए जा सकते हैं।
सच्चाई: क्यूआर कोड खुद असुरक्षित नहीं होते, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है। हमेशा भरोसेमंद क्यूआर कोड ही स्कैन करें और संदिग्ध या संवेदनशील डेटा मांगने वाली वेबसाइटों के साथ जानकारी साझा करने से बचें। - मिथक: डिजिटल वॉलेट बैंक ट्रांजेक्शन की तुलना में कम सुरक्षित होते हैं।
सच्चाई: डिजिटल वॉलेट में टोकनाइजेशन, बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन, और डिवाइस-लेवल एन्क्रिप्शन जैसे सुरक्षा फीचर्स होते हैं। टोकनाइजेशन कार्ड की संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित टोकन से बदल देता है, जिससे अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है।