RBI's Liquidity Boost: Impact of ₹60,000 Crore OMO on India's Economy

आरबीआई (Liquidity) बढ़ाने का बड़ा कदम: अर्थव्यवस्था के लिए क्या है इसका मतलब

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की बैंकिंग प्रणाली में तरलता (Liquidity) बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदमों की घोषणा की है। ये घोषणाएं 2024-2025/2013 की अधिसूचना के माध्यम से की गई हैं।

घोषित उपाय:

  1. सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) की OMO खरीद नीलामी:
    • कुल राशि: ₹60,000 करोड़।
    • तीन चरणों में होगी नीलामी:
      • ₹20,000 करोड़ (30 जनवरी, 2025)
      • ₹20,000 करोड़ (13 फरवरी, 2025)
      • ₹20,000 करोड़ (20 फरवरी, 2025)।
  2. 56-दिन का वेरिएबल रेट रेपो (VRR) नीलामी:
    • अधिसूचित राशि: ₹50,000 करोड़।
    • तारीख: 7 फरवरी, 2025।
  3. USD/INR बाय/सेल स्वैप नीलामी:
    • राशि: 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर।
    • अवधि: छह महीने।
    • तारीख: 31 जनवरी, 2025।

तरलता बढ़ाने की जरूरत क्यों?

  • आरबीआई के अनुसार, बैंकिंग प्रणाली में तरलता की कमी करीब ₹80,000 करोड़ के स्तर पर है।
  • हाल ही में आरबीआई ने CRR (कैश रिजर्व रेशियो) में कटौती और दैनिक VRR नीलामी शुरू की थी।
  • इन नए कदमों से ₹1 लाख करोड़ की कोर तरलता और ₹50,000 करोड़ लंबी अवधि की तरलता जुड़ने की संभावना है।

विशेषज्ञों की राय:

राजीव राधाकृष्णन (CIO, SBI म्यूचुअल फंड):

  • आरबीआई के ये कदम मौजूदा तरलता की समस्या को हल करने के लिए हैं।
  • ये उपाय धन बाजारों में स्थिरता लौटाने के लिए विश्वास पैदा करेंगे।

उपासना भारद्वाज (चीफ इकॉनमिस्ट, कोटक महिंद्रा):

  • यह कदम उम्मीद के अनुरूप है, लेकिन आने वाले महीनों में अधिक राहत की आवश्यकता होगी।
  • फरवरी की पॉलिसी में रेपो रेट में कटौती की संभावना बढ़ गई है।

आरबीआई का रुख:

आरबीआई बाजार और तरलता की स्थिति की निगरानी करता रहेगा और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त उपाय करेगा।

निष्कर्ष:
आरबीआई के इन कदमों का उद्देश्य वित्तीय प्रणाली में तरलता बढ़ाकर आर्थिक स्थिरता लाना है। यह कदम न केवल बाजार में विश्वास बढ़ाएंगे, बल्कि आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देंगे।

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