संघ का मानना है कि बड़े आर्थिक सुधार और राजस्व संग्रह ज़रूरी हैं, लेकिन नीतियों को इस तरह बनाया जाना चाहिए कि मध्यम वर्ग पर बोझ कम हो और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिले।
मध्यम वर्ग को राहत, चीनी उत्पादों (छाता, जूते आदि) पर टैरिफ लगाना, एसएमई (छोटे एवं मध्यम उद्योगों) को उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन देना, राष्ट्रीय संपत्तियों को पुनर्जीवित करना और शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए अधिक धनराशि आवंटित करना—ये वे प्रमुख बिंदु हैं, जिन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चाहता है कि बजट 2025 में ध्यान दिया जाए।
संघ परिवार से जुड़े लगभग आधा दर्जन संगठन—जैसे लघु उद्योग भारती (LUB), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), स्वदेशी जागरण मंच (SJM) आदि, जो छोटे और मध्यम उद्योगों, व्यापार, श्रमिक अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं—ने पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर अपनी माँगें प्रस्तुत की थीं।
मध्यम वर्ग को राहत: ‘बोझ’ कम करने की आवश्यकता
संघ लगातार इस बात को उठाता रहा है कि भारत के मध्यम वर्ग पर बढ़ती महंगाई का असर हो रहा है, जो न सिर्फ अर्थव्यवस्था की रीढ़ है बल्कि भाजपा के सबसे बड़े मतदाता वर्ग का भी हिस्सा है।
संघ को उम्मीद है कि सरकार करों में राहत, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी आवश्यक खर्चों पर अधिक कटौतियों की अनुमति और महंगाई पर सख्त नियंत्रण जैसी घोषणाएँ कर सकती है।
एक वरिष्ठ RSS पदाधिकारी ने बताया कि रुकी हुई आय और बढ़ते वित्तीय दबाव के कारण मध्यम वर्ग को सीधी राहत देने की ज़रूरत है, ताकि नौकरीपेशा, स्वरोजगार करने वाले और महत्वाकांक्षी युवा आर्थिक रूप से स्थिर रह सकें।
एसएमई को बढ़ावा, राष्ट्रीय विनिर्माण नीति की ज़रूरत
स्वदेशी जागरण मंच (SJM) और लघु उद्योग भारती (LUB) लंबे समय से स्थानीय व्यवसायों को समर्थन देने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भरता कम करने की मांग कर रहे हैं।
संघ चाहता है कि सरकार आसान ऋण उपलब्ध कराए, अनुपालन लागत घटाए और घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजनाएँ लागू करे। उनका मानना है कि आर्थिक विकास का लाभ छोटे उद्यमियों को मिलना चाहिए, न कि केवल बड़े कॉर्पोरेट घरानों को।
LUB के राष्ट्रीय महासचिव ओम प्रकाश गुप्ता ने News18 से कहा:
“हमने अपने छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए सरकार से विशेष सहायता की माँग की है। हमने पहले चीनी उत्पादों, जैसे छाता और जूते, पर टैरिफ लगाने का सुझाव दिया था। सरकार को स्वदेशी व्यवसायों की सुरक्षा करनी होगी। सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन हमें और कड़े उपायों की उम्मीद है।”
इसके अलावा, संगठन ने अपने बयान में कहा कि GST दरों को तर्कसंगत बनाना, छोटे तकनीकी खामियों के लिए एमनेस्टी योजना लाना, निर्यातकों के लिए तेज़ी से GST क्रेडिट रिफंड, कस्टम ड्यूटी में प्रोत्साहन और आवश्यक कच्चे माल के आयात के लिए अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाना जैसी नीतियाँ लागू करने की आवश्यकता है।
SJM के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा:
“हमने सरकार से एसएमई (छोटे एवं मध्यम उद्यम) के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं की माँग की है। कुल PLI में से कम से कम 50% हिस्सा एसएमई सेक्टर को दिया जाना चाहिए। हमें अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ाने की ज़रूरत है, ताकि विदेशी आयात पर निर्भरता कम हो और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा मिले।”
स्वदेशी जागरण मंच ने राष्ट्रीय विनिर्माण नीति की वकालत करते हुए कहा है कि स्थानीय उद्योगों को सुरक्षा देने और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
शिक्षा क्षेत्र के लिए अधिक बजट आवंटन की माँग
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने में संघ परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संघ और उसके सहयोगी संगठनों का मानना है कि शिक्षा प्रणाली को भारतीय मूल्यों, इतिहास और ज्ञान प्रणालियों के अनुरूप होना चाहिए।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री से मुलाकात कर यह माँग रखी कि सरकार ग्रामीण स्कूलों, उच्च शिक्षा संस्थानों, कौशल विकास कार्यक्रमों और शोध संस्थानों के लिए अधिक धनराशि आवंटित करे।
संघ ने यह भी माँग की है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में विदेशी प्रभाव को सीमित करने के लिए अधिक निगरानी रखी जाए और राष्ट्रीय हितों और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नीतियाँ बनाई जाएँ।
संघ चाहता है कि शिक्षा संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों की निगरानी के लिए एक एकीकृत प्राधिकरण (Single Authority) बनाया जाए, जिससे नीति निर्माण में एकरूपता आए और अकादमिक संस्थानों में वैचारिक हस्तक्षेप को रोका जा सके।
संक्षेप में: संघ की प्रमुख माँगें
📌 मध्यम वर्ग के लिए कर राहत और महंगाई नियंत्रण।
📌 स्थानीय उद्यमों और एसएमई को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएँ।
📌 चीनी उत्पादों पर टैरिफ और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा।
📌 राष्ट्रीय विनिर्माण नीति लागू करने की माँग।
📌 शिक्षा और कौशल विकास के लिए अधिक बजट आवंटन।
📌 भारतीय शिक्षा प्रणाली में विदेशी प्रभाव को कम करने के लिए निगरानी।
अब देखना यह होगा कि 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले बजट में संघ की इन माँगों पर सरकार कितना ध्यान देती है! 🚀📊