कैग (CAG) की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार की अब रद्द की गई शराब नीति के लागू होने में अनियमितताओं के कारण ₹2,026 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है।
भाजपा और कांग्रेस का आरोप
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी में जानबूझकर की गई खामियों को उजागर किया है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “शराब नीति में ‘आप’ सरकार का लूट मॉडल पूरी तरह से उजागर हो चुका है।”
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट ने “अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार की पूरी कहानी” सामने रख दी है। उन्होंने कहा, “सरकार के नियमों को बार-बार अनदेखा किया गया। केजरीवाल ने दिल्ली की खुशियों को खत्म कर एक ब्रोकर की भूमिका निभाई।”
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने सवाल किया कि अरविंद केजरीवाल सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में पेश क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम लगातार कह रहे थे कि सीएजी रिपोर्ट को जल्द से जल्द टेबल किया जाए।”
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि इस रिपोर्ट को पेश करने में देरी किसी “डील” का नतीजा है। उन्होंने कहा, “इस रिपोर्ट को विंटर सेशन में पेश किया जाना चाहिए था। इससे साफ है कि बीजेपी और आप के बीच कोई डील थी।”
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का बयान
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, “सीएजी ने 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किया है। यह स्पष्ट हो चुका है कि अरविंद केजरीवाल ने गलत किया। इस नीति के कारण सरकारी खजाना खाली हो गया। यदि यह पॉलिसी जारी रहती, तो नुकसान 10,000-12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता था।”
शराब नीति का इतिहास
दिल्ली सरकार ने यह पॉलिसी 17 नवंबर 2021 को लागू की थी, लेकिन सितंबर 2022 के अंत में इसे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच रद्द कर दिया।
इस पॉलिसी के तहत, शहर को 32 जोन में बांटा गया और 849 शराब दुकानों के लाइसेंस खुले टेंडर के माध्यम से दिए गए। सरकार ने गैर-अनुरूपित क्षेत्रों (अवैध कॉलोनियों) में भी शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी।
इस रिपोर्ट और इसके खुलासों ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है।